मैं और मेरी प्रियतमा सौंदर्या

उसे एक बार मेरी आंखें ने देखा और ठगी सी रह गई, जैसे मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया हो और शरीर निढाल सा हो गया हो....... ऐसा ही था उस 19 वर्षीय बाला का सौंदर्यमयी गौर वर्णीय शरीर, जिसे एक क्षण देखते ही मैं स्तंभित सा खड़ा रह गया और उसे अपना बना लेने का स्वप्न देखने की धृष्टता कर बैठी ये बेमौत मारी हुई दो आंखें.... और दिल ,जो रह रह कर उसी का स्मरण मानस पटल पर ज्यों का त्यों अंकित कर रहा था।
ऐसा लग रहा था,जैसे इसी सौंदर्य की प्रतीक्षा में मैं कई वर्षों से भटक रहा था जो आज अचानक ही स्वप्न के रूप में मेरे सामने दृष्टिगोचर हो गया हो लेकिन वह सपना नहीं शायद हकीकत ही था यह मुझे तब महसूस हुआ जब वह मेरे ही बाई तरफ की बगल वाली सीट पर बैठी,और एक मनमोहक मुस्कान के साथ उसने मुझे देखा और ऐसे देखा कि फिर मैं होश में ना रह सका, ना जाने क्यों उसे बार-बार देखने की इच्छा हो रही थी, मर्यादाकुस कुछ अटपटा सा भी लग रहा था , जाने क्यों फिर भी उसे एकटक देखता रहा......... और वह भी मुझे एक मादक मुस्कुराहट के साथ प्रेममई दृष्टिि से देखने के लिए उत्सुक हो रही थी लेकिन संकोचवश अपनी पलकों को कभी हौले से चुपके से मुझे देख लेती।
    यह बात मेरी समझ में नहीं आई कि वह मेरी और इस दृष्टि से क्यों देख रही थी जैसे वह मुझे कई वर्ष पहले से जानती हो इस भाव को उसकी आंखों में पढ मेरा मन यह जानने के लिए बेचैन हो उठा किंतु फिर भी मैं मौन ही रहा और 15 मिनट थक उसके साथ सफर कर कुछ ना कहते हुए मैं और वे दोनों ही अपने अपने रास्ते अलग अलग दिशा में चल दिए।
            हर क्षण मेरा मन उसे देख लेने के लिए बेचैन होने लगा ऐसा एहसास होता कि जैसे वह मेरी प्रेमिका है, जो शायद मुझसे बिछड़ गई है, उस दिन मैं चौन से एक पल भी सो ना सका और इन्हीं विचारों की उत्तल पुथल ने उससे मिलने की उत्सुकता पैदा कर दी।
      मेरे जीवन में ऐसे मोड़ कई बार है जब उसे से साक्षात्कार हुआ और वह भी उन क्षणों में जब मैं तनावग्रस्त होता था या फिर कोई मुसीबत मेरे ऊपर आने वाली होती थी ऐसे क्षणों में ही मैं उसे अपने पास पाता और हर बार वह मुझे उस समस्या से मुक्त कर अदृश्य हो जाती, मेरा मन फिर विचलित हो उठता और एक ही प्रश्न मेरे मानस को झकझोरने लगता कि आखिर यह है कौन जो मुसीबत परेशानियों और समस्याओं के बवंडर से मुझे निकाल कर बार-बार लुप्त हो जाती है?
       हर बार मैं उसे पूछने के लिए आगे बढ़ता किंतु हर बार मेरे कदम रुक जाते और जब तक मैं फिर साहस जुटा पाता तब तक वह गायब हो जाती है ऐसा लगातार सात-आठ महीने तक छुपा छुपी का खेल चलता रहा किंतु उसने कभी मेरा अहित नहीं चाहा उसने हर बार मेरी सहायता ही की और कठिन से कठिन परिस्थितियों से भी मुझे निकाल लिया, उसने मेरी हर दृष्टि से पूर्ण सहायता की,जब मुझे धन की आवश्यकता होती तो मेरे पास अकस्मात ही धन आ जाता मैं कभी निराश होता या किसी अन्य तनाव से ग्रस्त होता तो वह उस क्षण अचानक मेरे सामने उपस्थित हो जाती मैं अपना सारा दुख तनाव उसे देखते ही भूल बैठता और उसके निदान का उपाय भी मुझे मिल जाता उसने बड़ी बड़ी दुर्घटना उसे मेरी जान भी बचाई इससे बच पाना कठिन ही नहीं असंभव भी था।
           दिखने में तो वह एक साधारण से पूर्ण यौवन के भार से लदी हुई एक वाला थी, जिसका सौंदर्य किसी को भी बेसुध कर देने के लिए पर्याप्त था, उसकी झीलदार और धारदार आंखें ,छोटी सी नाक, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थिरकते हुए होंठ ,भादो की श्यामल काली घटा की तरह लहराते हुए बाल और हिरणी की तरह भोली भाली चितवन जो किसी भी पुरुष को अपने नैनों से बांध लेने में समर्थ थी जो किसी भी यौवनवान व्यक्ति को अपनी तरफ खींच लेने में सक्षम थी, क्योंकि उसके शरीर से प्रवाहित होती थी मादक नशीली हवा उसके शरीर से निकलती थी गुलाब के पुष्पों सी सुवास।     
                      उसके सौंदर्य का कोई भी गुण उसे किसी साधारण स्त्री की श्रेणी में खड़ा नहीं करता था और उसके चेहरे का वह दिव्य प्रकाश जो हर क्षण बना रहता था अद्भुत और आश्चर्य चकित कर देने वाला था मानो सूर्य का प्रकाश चारों तरफ अपनी रोशनी बिखेर कर वातावरण को प्रकाशमान कर रहा हो और फिर हर बार उसका मिलना और हंसकर चले जाना मेरे मन में प्रेम का अंकुरण प्रस्फुटित कर रहे थे।
               हर क्षण मौ यही सोचता रहता कि वे झण माधऔर मधुर्य से ओत-प्रोत हो जाते हैं जब वह मेरे साथ होती है वह झण प्यार की एक मीठी सी फुहार से सारे तन मन को आप्लावित करें स्मृति इतिहास के अमिट असर बन जाते..... ऐसे सुंदर क्षण ही जीवन की सार्थकता है और ऐसे ही क्षण पूरे जीवन भर बने रह सके इसीलिए मैं अपने पूज्य गुरुदेव के चरणो में उपस्थित हुआ और उनसे अपने मन की पूरी व्यथा कह डाली।
       यह सब कहते कहते मेरी आंखों से अश्रु कण छलकने लगे, जिसने तुझे गुरुदेव के चरणों को भिगो दिया क्योंकि मैं जब एक पल भी उसके बगैर जी नहीं पा रहा था और यह गुरुदेव भली भली भांति जान चुके थे गुरुदेव ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और मेरे सामने एक आश्चर्य चकित कर देने वाला रहस्य को उद्घाटित कर मुझे चौंका दिया जो "मेरे पूर्व जन्म" से संबंधित था।

                           क्रमशः .............

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