- इसे साधना में आवश्यक सामग्री है- सुगंधमोदनी अप्सरा यंत्र व अप्सरा माला।
- यह साधना 3 दिन में संपन्न होती है इसे यदि रात्रि में करे तो ज्यादा उचित रहेगा।
- किसी भी शुक्रवार से प्रारंभ कर सकते हैं।
- साधक गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें तथा स्वयं सुगंधित इत्र लगाकर बैठे।
- लकड़ी के वजोट पर श्वेत वस्त्र पर ताम्र या स्टील के पात्र में अप्सरा यंत्र स्थापित करें।
- यंत्र का पूजन करें तथा सुगंधित पुष्प व इत्र चढ़ाएं।
- घी का दीपक निरंतर जलता रहे।
मंत्र
ऊं ह्रीं ह्रीं सुगन्धमोदिन्यौ ह्रींह्रीं फट्
- जब समाप्त होने पर दूध से बना नए वेद अर्पित करें तथा वह स्वयं ही ग्रहण करें।
यह अप्सरा साधक को हर क्षण नित्य नूतन रूप में प्रसन्न रखती है तथा उसे अपना साहचर्य प्रदान कर आनंदित करती है, यह अति शीघ्र ही सिद्ध हो जाती है।
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