-:अप्सरा साधना संक्षिप्त परिचय:-

अप्सराएं के दो वर्ग है, एक वर्ग मे तो वे अप्सराएं आती है जिनकी साधना पुरुष करते हैं और उन्हें प्रसन्न कर अपने अनुकूल बनाकर उनसे धन द्रव्य यश सौभाग्य एवं सुख प्राप्त करते हैं।
                दूसरे प्रकार की ''सुरती प्रिया अप्सराएं''होती है जो स्वयं मृत्यु लोक के प्राणियों से संसर्ग,संपर्क,साहचर्य चाहती है। वह खुद इसके लिए प्रयत्नशील होती है कि कोई साधक थोड़ी सी भी साधना करें और हम उस के संपर्क में उपस्थित हो इससे साधक को सुविधा मिल जाती है और उसको साधना शीघ्र सिद्ध हो जाती है।
अप्सरा सिद्धि करना किसी भी दृष्टि से असामान्य और अनैतिक नहीं है, उच्च कोटि के योगियों,सन्यासियों, ऋषियों, और देवताओं तक ने अप्सराओं की साधना की है यो तो मंत्र महोदधि आदि ग्रंथों में 108 विभिन्न अप्सराओं प्रमाणित साधनाएं दी हुई है और उनमें से कई अप्सराओं की साधनाएं साधकों ने सिद्ध की है और उसका लाभ उठाया है।
  पर हमें ''सुरती प्रिया" स्वर्ग की अप्सरा साधना का प्रमाणिक विवरण प्राप्त नहीं हो पा रहा था ,इस बार संयोग से सोलन शिविर से पहले शिमला के पास एक चैल नाम का स्थान है, जो कि प्रकृति की दृष्टि से अत्यंत रमणीय और प्रसिद्ध स्थान है, जिसे महाराजा पटियाला ने बनवाया था।
     जब हम शहर के प्रकृति सौंदर्य का आनंद ले रहे थे तभी हमारी वहां पर एक गृहस्थ सन्यासी से भेंट गई गृहस्थ सन्यासी शब्द में इसलिए प्रयोग कर रहा हूं कि वह सही अर्थों में तो हिमाचल में रहने वाले गृहस्थ ही हैं जिनकी एक पत्नी और तीन संतान है ,परंतु यदि मूल रूप से देखा जाए तो वह सन्यासी हैं उनका सारा जीवन तांत्रिक साधनाओं में ही व्यतीत हुआ और तंत्र के क्षेत्र में भी अद्वितीय सिद्ध योगी हैं उनका नाम सौंदर्य नंद जी है।
      हमारी जिज्ञासा बड़ी हमने इनका नाम तो पहले ही सुन रखा था और हमें यह ज्ञात था कि अप्सरा साधना में यह सिद्धहस्त आचार्य हैं तथा इन्होंने लगभग सभी की सभी अप्सराओं की साधनाएं संपन्न की हैं, हमारी जिज्ञासा यही थे कि यदि हमें इनके द्वारा सुरती प्रिया अप्सरा साधना की जानकारी और साधना रहस्य ज्ञात हो जाए तो यह काफी महत्वपूर्ण कार्य होगा।
         मैंने उनसे इस संबंध में निवेदन किया तो उन्होंने कहा मैं एक जगह टिक कर बैठता नहीं गृहस्थ अवश्य हो परंतु नहीं के बराबर गृहस्थ हूं।
      फिर चर्चा गुरुदेव के बारे में चली तो उनके साथ व्यतीत किए हुए दिन याद हो आए उन्होंने बताया कि मैं लगभग 1 वर्ष से भी ज्यादा उनके साथ रोहतांग के पास रहा था और उनसे काफी कुछ साधनाएं मुझे प्राप्त हुई थी।
  पर इसके बाद मेरा रुझान अप्सरा साधनाओं की ओर बढ़ गया और मैंने अपने जीवन में यह निश्चय किया कि सभी साधनाओं को रख लूं और सभी साधनाएं संपन्न कर लू, मुझे इसमें पूरी कामयाबी मिली लगभग सभी अप्सराओं को मैंने सिद्ध किया है यद्यपि उन सब की क्रिया उन सब की सिद्धि करने का तरीका अपने आप में अलग है और गोपनीय है यदि मंत्र महारणव आदि ग्रंथों  में प्रकाशित साधनाओं के आधार पर इन्हें सिद्ध किया जाए तो सफलता नहीं मिल पाती।
       मैंने परिश्रम कर कई सन्यासियों से और इस क्षेत्र के श्रेष्ठ योगियों से मिलकर इन साधनाओं को सीखा है सिद्ध किया है इन्हें प्रत्यक्ष किया है और अब मैं इससे संबंधित ग्रंथ लिख रहा हूं यदि साधकों का सौभाग्य होगा तो यह ग्रंथ प्रकाशित ही होगा।
क्रमशः

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